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कितनी भी हो तपती दुपहरी शीतल और मनभावन बन कर शान्त समीर । प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान है महावीर का बीज यदि मिले पर्याप्त खाद और सिंचन अंकुरित, पल्लवित और पुष्पित बन सकता है विराट वट जिसकी छाया तले,
जीवन अरमान फले। • महाप्रज्ञ एक मानव हैं
पर अवस्थित हैं उस शिखर पर जहां संभव बना है महावीर का दर्शन सम्पर्क और सम्मिलन उसका एक साक्ष्य है श्रमण महावीर जिसमें अंकित हैं महाप्रज्ञ और महावीर के मिलन-क्षण। उसका दूसरा साक्ष्य है प्रस्तुत-ग्रंथ महावीर का पुनर्जन्म जिसमें जीवन्त स्पर्श है महावीर के विचार और दर्शन का चिन्तन और अनुशीलन का। ० महाप्रज्ञ की मनीषा
युग का दर्पण बिम्बित हैं महावीर
प्रतिबिम्बित है चिन्तन/दर्शन ० जो जीता है युग के साथ
युग की समस्याओं के साथ देता है समाधान, बनता है युग-प्राण
वही है महावीर। ० प्रस्तुत ग्रन्थ 'महावीर का पुनर्जन्म'
इसी सचाई का बिम्ब है हम इस पढ़ें/देखें युगीन समस्याओं को पहचानें उनके समाधान ढूंढें महावीर अंतश्चेतना को स्पंदित करते प्रतीत होंगे।
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