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________________ आज तीर्थंकर नहीं है? जब तक तीर्थंकर मार्गदर्शक होते हैं, सारे लोग उनके मार्गदर्शन में चलते हैं। जब तीर्थंकर नहीं रहते हैं, तब ग्रन्थ मुख्य बन जाते हैं, एक ग्रन्थ की पचासों व्याख्याएं हो जाती हैं। आचार्य अपनी-अपनी समझ से उनकी व्याख्या करते हैं । व्याख्या की विभिन्नता से अनेक मार्ग बन जाते हैं, अनेक मार्गदर्शक उभर आते हैं। स्थिति यह बनती है-मार्गदर्शक अधिक बन जाते हैं, भक्त कम हो जाते हैं । भगवान् भक्तों को ढूंढते रहते हैं, बुलाते रहते हैं। यह मतवाद की विडम्बना है । मतवाद का कारण जैन शासन की स्थिति को देखें। पहले जैन शासक एक था । कालान्तर में उसके दो विभाग हो गए - श्वेताम्बर और दिगम्बर । एक ने भगवती आदि सूत्रों को प्रमाण माना, दूसरे ने समयसार आदि का प्रामाण्य स्वीकार किया । समय बीता। उन्हीं आगमों के आधार पर एक मूर्तिपूजक बन गया, एक अमूर्तिपूजक बन गया। यदि इनके अवान्तर भेदों की विविक्षा करें तो एक जैन शासन के सैकड़ों भाग बन जाते हैं । १३१ प्रश्न हो सकता है—जैन शासन के अनेक भागों में विभक्त होने का कारण क्या है? उसमें मतवाद अधिक क्यों पनपे ? जब तक प्रत्यक्षज्ञानी होते हैं, सर्वज्ञ होते हैं, मतवाद को पनपने का अवकाश ही नहीं मिलता। जब सर्वज्ञ नहीं होते, प्रत्यक्षज्ञानी व्यक्तियों का अभाव हो जाता है, तब मतवाद को पनपने का अवसर उपलब्ध हो जाता है । मतवाद का आधार है परोक्ष ज्ञान । गीता एक है किन्तु उसके आधार पर अद्वैतवाद भी चलता है, द्वैतवाद भी चलता है । महावीर का यह कथन कितना यथार्थ है- जब तक प्रत्यक्ष ज्ञान होता है, मतवादों की भीड़ नहीं लगती। जब प्रत्यक्ष ज्ञान नहीं होता तब अपनी मान्यता का आग्रह प्रबल बनता है । एक व्यक्ति कहता है- मैं ऐसा सोचता हूं। दूसरा कहता है- मैं ऐसा सोचता हूं। जितने व्यक्ति, उतने चिन्तन बन जाते हैं । जब चिंतन के साथ आग्रह जुड़ता है, मतवाद को पनपने का अवसर मिल जाता है । निष्कर्ष की भाषा में कहा जा सकता है-मतवाद का कारण है-परोक्ष ज्ञान और उसका समाधान है परोक्ष से प्रत्यक्ष की दिशा में प्रस्थान । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003109
Book TitleMahavira ka Punarjanma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages554
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size11 MB
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