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समय का अंकन हो
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होता है। एक मुनि छठे गुणस्थान में रहता है, सातवें में भी चला जाता है। इन सबको पार करने के बाद यथालंदक की भूमिका प्राप्त होती है।
- प्रतिक्षण अप्रमत्त रहने का अर्थ है-समय का अंकन। मुझे इस क्षण में वह काम करना है, तो मूल्यातीत है, इस चेतना की जागृति से ही समय का अंकन हो सकता है। पवित्रता मूल्यातीत है, प्रसन्नता मूल्यातीत है। प्रत्येक व्यक्ति सोचे-चौबीस घंटे में कितने घंटे प्रसन्नता में बीते, कितना समय पवित्र भावों में बीता। यह चिन्तन समय का अंकन है और यही विजय का आधार बनता है। जो व्यक्ति अपनी स्थिति के प्रति जागरूक होता है, प्रमादवश अपनी स्थिति को छिपाने का प्रयत्न नहीं करता, वह विजय का वरण कर लेता है। सन्दर्भ मल्लयुद्ध का
__ आगम व्याख्या साहित्य की प्रसिद्ध कहानी है। उज्जैन का अट्टण मल्ल बहुत पराक्रमी था। प्रतिवर्ष मल्ल-युद्ध का आयोजन होता। उसमें अनेक राज्यों के मल्ल भाग लेते, परस्पर मल्ल कुश्तियां लड़ते। जो विजयी होता, उसे श्रेष्ठ मल्ल घोषित किया जाता। वह पुरस्कृत और सम्मानित होता। जिस राज्य का मल्ल जीतता, उस राज्य की पराक्रम गाथा सर्वत्र विश्रुत होती। प्रतिवर्ष मल्ल्युद्ध की प्रतियोगिता में उज्जैन का मल्ल 'अट्टण' विजयी बनता। सोपारक नगर के राजा सिंहगिरी ने सोचा-मैं भी एक ऐसे मल्ल को तैयार करूं, जिससे मेरे देश का गौरव उन्नत हो। उसने एक युवा और बलिष्ठ मछुआरे का चयन किया। उसे खूब खिलाया, पिलाया, पौष्टिक भोजन दिया। व्यायाम और आसन का प्रशिक्षण दिलाया, मल्लयुद्ध के दावपेंच सिखलाए। कछ ही समय में वह निपुण हो गया। उसका नाम रखा गया--मच्छिय मल्ल। अगले वर्ष मल्ल-कुश्ती की आयोजना की गई। एक ओर अट्टण मल्ल था, दूसरी ओर मच्छिय मल्ल था। मच्छिय मल्ल जवान था, शक्तिशाली था। अट्टण मल्ल बूढ़ा हो चला था। दोनों के बीच मल्ल युद्ध प्रारम्भ हुआ। युद्ध की परिणति अप्रत्याशित थी-मच्छिय मल्ल जीत गया, सदा जीतने वाला अट्टण मल्ल परास्त हो गया।
अट्टण मल्ल की हार से उज्जैन के राजा की प्रतिष्ठा को धक्का लगा। मल्ल युद्ध में सदा जीतने वाले देश की पराजय से राजा क्षुब्ध हो उठा। अट्टण मल्ल को भी ठेस पहुंची। उसने भी एक युवक को मल्ल बनाने का निश्चय किया। उसने सोचा-कोई युवा मल्ल ही उज्जैन की खोई प्रतिष्ठा पुनः पा सकता
जहां शक्ति का काम होता है, वहां युवा को खोजना पड़ता है। युवक शक्ति का पर्याय बना हुआ है। वृद्ध का अपना काम होता है, अपना कौशल होता है किन्तु शक्ति के संदर्भ में युवा ही सफल हो सकता है।
अट्टण मल्ल ने एक युवा कृषक का चयन किया। उसे मल्ल विद्या का महत्त्व समझाया, उसके मां-बाप की इस कार्य के लिए सहमति प्राप्त की। राजा का पूरा संरक्षण उसे प्राप्त था। उस युवक की सारी व्यवस्थाएं संपादित हो गई। अट्टण मल्ल स्वयं अत्यन्त निपुण था। उससे प्रक्षिशण पाकर युवा कृषक कुशल
मल्ल बन गया। उसका नाम रखा गया-फलिह मल्ल। प्रतिवर्ष की तरह अगले Jain Education International For Private & Personal Use Only
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