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गृहस्थ जीवन का आकर्षण क्यों ?
एक शब्दों का युगल है आकर्षण और विकर्षण, प्रियता और अप्रियता । एक वस्तु अपनी और खींचती है, उसके प्रति आकर्षण होता है । एक वस्तु विमुख बनाती है, पीठ को घुमा देती है । उसके प्रति हमारा विकर्षण होता है । कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है, जिसके प्रति सबका आकर्षण हो और कोई भी ऐसी नहीं है, जिसके प्रति सबका विकर्षण हो । आकर्षण और विकर्षण- दोनों सापेक्ष हैं। किसी का किसी के प्रति आकर्षण और किसी का किसी के प्रति विकर्षण होता है। प्रश्न प्रस्तुत हुआ - गृहस्थ जीवन का आकर्षण क्यों?
प्राचीनकाल में आश्रम की व्यवस्था थी । आश्रम को मुख्यतः दो भागों मे बांटा गया–गृहस्थाश्रम और संन्यासाश्रम । हिन्दुस्तान में दो प्राचीन परम्पराएं रही हैं— श्रमण परम्परा और ब्राह्मण परम्परा । ब्राह्मण परम्परा में संन्यास के लिए स्थान नहीं था। उसमें गृहस्थाश्रम का महत्त्व अधिक था । श्रमण परम्परा में संन्यास को बहुत महत्त्व दिया गया । ऐसा लगता है- एक सिद्धांत के महत्त्व को कम करने के लिए उसके प्रतिपक्ष पर अधिक बल दिया गया। पक्ष के लिए प्रतिपक्ष का होना जरूरी है । अनेकान्त का सिद्धान्त है— जिसका अस्तित्व है, उसका कोई न कोई प्रतिपक्ष है। विज्ञान का सिद्धांत है- बॉडी के साथ एन्टीबॉडी का होना अनिवार्य है । प्रतिपक्ष के बिना किसी का अस्तित्व नहीं है। एक ओर गृहवास का महत्त्व तथा दूसरी ओर मुनि-धर्म का महत्त्व | श्रमण और ब्राह्मण- दोनों परम्पराओं में एक बात को अधिक महत्त्व दिया गया। यदि दोनों को मिलाएं तो जीवन का समग्र दर्शन प्रस्तुत होता है । ज्येष्ठाश्रम : गृहस्थाश्रम
गृहस्थ के बिना संन्यास नहीं होता और संन्यास न हो तो गृहस्थ का महत्त्व नहीं रहता, उसमें शुद्धि और पवित्रता नहीं रहती । गृहवास एवं गृहत्याग — दोनों का अपना अपना महत्त्व है । ब्राह्मण परम्परा में चार प्रकार के आश्रम माने गए हैं। ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और संन्यास आश्रम । जीवन को चार भागों में बांट दिया गया- पचीस वर्ष तक विद्यार्थी जीवन, पचीस वर्ष तक गृहस्थ जीवन, पचीस वर्ष तक वानप्रस्थ जीवन और पचीस वर्ष तक संन्यास जीवन । ब्राह्मण परम्परा की मान्यता रही- इन चार आश्रमों में सबसे बड़ा है गृहस्थ आश्रम । महाभारत में इसका बहुत समर्थन किया गया। प्रश्न प्रस्तुत हुआ-गृहस्थ आश्रम सबसे बड़ा कैसे ? इस प्रश्न के सन्दर्भ में कहा गया- ब्रह्मचर्य आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम, संन्यास आश्रम - इन तीनों को धारण कौन करता है? इनका भरण-पोषण कौन
करता है? ज्ञान और
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