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________________ अभ्यास द्वितीय : प्राणायाम ॐ १. पुनरावर्तन प्रथम वर्ष में किए गए निम्नलिखित प्रयोगों का पुनः अभ्यास करें१. प्राणायाम के प्रकार और प्रक्रिया। २. सूयभेदी प्राणायाम । ३. चन्द्रभेदी प्राणायाम। ४. अनुलोम-विलोम (समवृत्ति) प्राणायाम । विशेष सावधानियां १. गंदे, दूषित वातावरण में प्राणायाम न करें। २. तेज वायु में प्राणायाम न करें। ३. बिस्तर में मुंह ढककर प्राणायाम न करें। ४. भोजन के पश्चात् दो घण्टे तक प्राणायाम न करें। सहज प्राणायाम किसी भी समय किया जा सकता है। प्राणायाम करते समय पद्मासन एवं सिद्धासन उत्तम आसान हैं। ७. प्राणायाम से पूर्व जठर, आंत एवं मूत्राशय को खाली कर लें। आसन के पश्चात् प्राणायाम करें। ६. शरीर को शिथिल एवं मुखाकृति को शांत एवं प्रतिक्रिया-रहित रखें। शरीर के किसी अवयव पर तनाव न आए। प्राणायाम का अभ्यासी धूम्रपान एवं अन्य उत्तेजक द्रव्यों का सेवन न करे। ११. प्राणायाम-अभ्यासी बलपूर्वक श्वास-प्रश्वास की क्रिया न करे। कुम्भक ___ अभ्यास क्रमिक बढ़ाना चाहिए, एक साथ नहीं। २. उज्जाई प्राणायाम विधि : पदमासन, सुखासन आदि किसी भी सुविधाजनक आसन में सुखपूर्वक ॐ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003108
Book TitleJivan Vigyana Siddhanta aur Prayoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2008
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size9 MB
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