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की उपेक्षा : परिणाम १२३, मूल्य हैं अपना-अपना १२४, मानसिक सन्तुलन का प्रश्न १२५, ज्ञान और आचार १२६, जीवन विज्ञान : धर्म की परिभाषा १२६, व्यवहार का महत्व १२७, दायित्व चेतना १२७, सामंजस्य पूर्ण जीवन १२८, ग्रहणशीलता का विकास १२८ २.५ शिक्षा और मुक्ति की अवधारण
मुक्ति वर्तमान क्षण में १३०, मुक्ति : व्यापक संदर्भ १३०, आज की समस्या १३१, साक्षरता और संस्कार १३२, ज्योति का प्रज्वलन १३२, अज्ञान : भारतीय दर्शन की अवधारणा १३३, इच्छाओं पर नियंत्रण १३३, संवेग : समस्या का कारण १३४, शासन प्रणाली बदलना ही पर्याप्त नहीं १३५, कोर्स पूरा नहीं है १३५, शिक्षा की सार्थकता : व्यावहारिक सामंजस्य १३६
खण्ड- स जीवन विज्ञान : स्वस्थ समाज रचना का संकल्प १४१-१५३
१३० - १३७
३.१ संवेग संवेद और नियंत्रण की पद्धति
असंतुलित संवेग : आपराधिक वृत्तियां १४१, ऑब्जेक्ट की स्मृति : सब्जेक्ट की विस्मृति १४२, शिक्षा का उद्देश्य १४२, सर्वांगीण विकास के घटक तत्त्व १४३, मस्तिष्कीय परिवर्तन के प्रयोग १४४, ग्रन्थि तंत्र का संतुलन १४५, रंगों का प्रभाव १४६, विधायक दृष्टिकोण १४७, सतत क्रिया : संवेद संवर्द्धन १४८, विकास का मार्ग १४९, परिणाम दर्शन १५०, दीर्घश्वास के प्रयोग १५१, विज्ञान और अध्यात्म : निष्पत्ति एक है १५१, नई दिशा १५२
३.२ मूल्य परक शिक्षा : सिद्धांत और प्रयोग
मूल्य बोध : प्रयोग १५४, अपेक्षित है अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय १५५, भाव और व्यवहार १५६, अणुव्रत स्टोर १५७, मूल्य विकास: दो पद्धतियां १५७, मूल्यपरक शिक्षा १५८, व्यवहार परिवर्तन के प्रयोग १५९, समाज है शिक्षा का प्रतिबिंब १६०, शिक्षा का आधार १६१
३.३ विधायक भाव
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१५४-१६२
विधायक भाव जागे १६३, जिम्मेवार कौन? १६४, विधायक भाव की निष्पत्ति १६४, चिन्तन का कोण १६५, मानसिक समस्याओं का प्रश्न १६६, काल्पनिक समस्याएं १६७, परिवर्तन का सूत्र १६७,
१६३-१७२
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