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किंतु शेर के सामने तीर आता है तो वह देखता है कि तीर
कहां से आया है।
अस्तु, मानव यदि दुखी और अशांत बनना नहीं चाहता तो वह दुःख का कारण मिटाए। दुःख का कारण है-जीवन में बुराइयों की व्याप्ति। धर्म और क्या है? जीवन-परिष्कार की प्रक्रिया का नाम ही तो धर्म है। धर्म का यह रूप ही उसका वास्तविक रूप है। इस रूप में ही वह समाज के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। उससे इस अपेक्षा की पूर्ति होती रहे तो वह सभी नीतियों को अनुशासित करने में पुनः सक्षम हो सकता है।
अणुव्रत उसी धर्म का निखरा हुआ रूप है, नया संस्करण है। आज के युग के अनुरूप इसे वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यही कारण है कि सामान्य आदमी ही नहीं, शिक्षित और प्रबुद्ध लोग भी इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं, इसकी उपयोगिता और उपादेयता स्वीकार कर रहे हैं। मैं चाहता हूं, धर्म का यह परिष्कृत रूप आपके जीवन का अविच्छिन्न अंग बने। निश्चय ही आप अपने जीवन में सुख और शांति का अनुभव कर सकेंगे। धर्म का तूफान . अभी-अभी जैन साहब ने कहा कि यह तूफानों का प्रदेश है। हमने भी सुना था कि वहां तूफान बहुत आते हैं, पर तूफान और ज्वार निकम्मे ही नहीं होते, उपयोगी भी होते हैं, बशर्ते कि उनके साथ जो अच्छी चीजें आती हैं, उन्हें पकड़कर रखा जाए। आपके रायसिंहनगर में आज फिर से धर्म के नाम पर एक तूफान आया है। आप लोग इस तूफान की अच्छाइयां स्वीकार कर लें तो आपकी भूमि तवारीख में लिखने योग्य हो जाएगी।
रायसिंहनगर २८ अप्रैल १९६६
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