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________________ दूसरी बात है जन्मभूमि की। उसके प्रति जनता का क्या दायित्व है और वह उसे कहां तक निभा रही है, यह एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। जन्मभूमि को आजाद बनाने के लिए राष्ट्र की जनता ने लंबा संघर्ष किया। खेती से इसे शस्यश्यामला भी बना दिया, पर इस ओर ध्यान ही नहीं दिया कि इस पर चरित्रहीनता का कितना भार है। यह क्यों नहीं सोचा गया कि अनैतिकता से मनुष्य राक्षस बन जाता है, विद्या, तप, दान, शील, गुण और धर्म से हीन मनुष्य पशु के तुल्य कहलाता है ? भर्तृहरि ने कहा है येषां न विद्या न तपो न दानं, न चापि शीलं न गुणो न धर्मः। ते मर्त्यलोके भुवि भारभूताः, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।। प्राचीनकाल की तरह आज भी भारत चरित्र-निष्ठ होता तो इसका नक्शा कुछ दूसरा ही होता। स्वतंत्रता और चरित्रनिष्ठा के योग से भारत में बहुत बड़ी प्रगति संभव थी, लेकिन केवल स्वतंत्रता पाकर लोगों ने संतोष कर लिया, अपने कर्तव्य की इतिश्री मान ली। यह अच्छा नहीं हुआ। पर निराशा की कोई बात नहीं है। अब भी जनता चरित्रनिष्ठ बने तो राष्ट्र अपना खोया हुआ गौरव पुनः प्राप्त कर सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में मैं दो सिद्धांतों की चर्चा करना चाहता हूं। वे हैं-स्याद्वाद और पुरुषार्थवाद। हालांकि ये दोनों सिद्धांत जैन-दर्शन से संबद्ध हैं, पर इनकी परिधि मानवदर्शन या विश्वदर्शन है। कोई भी दर्शन या व्यक्ति इन्हें सर्वथा अमान्य नहीं कर सकता। ___व्यक्ति दूसरों के विचारों की कद्र करना सीखे। वह जो-कुछ सोचता है, वही सही है, यह आग्रह नहीं होना चाहिए। क्यों ? यह इसलिए कि सत्य अनंत है। प्रत्येक वस्तु अनंतधर्मा होती है, अतः उसे देखने के दृष्टिकोण भी अनंत हो सकते हैं। दूसरे व्यक्ति भी चिंतन के अधिकारी हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने विचारों की तरह दूसरों के विचार भी तटस्थ दृष्टि से समझने का प्रयास करे। यदि वे विचार सही हैं तो वह उन्हें ऋजुतापूर्वक स्वीकार कर ले और सही नहीं लगते हैं तो बिना किसी विग्रह के छोड़ दे। यह स्याद्वाद का फलित है। इसी लिए जैनाचार्यों ने कहा जीवन की सफलता के दो आधार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003107
Book TitleAage ki Sudhi Lei
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size13 MB
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