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ठठळवळ
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कण्ठ का कायोत्कर्म शरीर, वाणी, मन और भाव इन चारों पर कायोत्सर्ग का प्रयोग किया जा सकता है। मौन करने वाले तथा मानसिक शांति की चाह करने वाले व्यक्ति के लिए कण्ठ का कायोत्सर्ग बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे स्वरयन्न की सक्रियता कम होती है। सक्रियता की अवस्था में विचार, विकल्प पैदा होते रहते हैं। निष्क्रियता की अवस्था में वे शांत हो जाते हैं।
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२८ फरवरी
२०००
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(भीतर की ओर
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