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भावक्रिया-(३) कोई आदमी किसी कार्य को प्रारम्भ करता है, उसे आदि से अन्त तक उस कार्य की स्मृति नहीं रहती। इस विस्मृति का नाम है प्रमाद । जागरूकता का अर्थ है सतत स्मृति अथवा अप्रमाद।
भावक्रिया का दूसरा अर्थ है सतत स्मृति अथवा जागरूकता। कल्पना करें—किसी व्यक्ति ने आधा घण्टा के लिए जप का प्रयोग शुरू किया। उस आधा घण्टा में निर्धारित जप चले, दूसरा कोई विकल्प न आए, यह बहुत कम संभव है। जिस व्यक्ति ने भावक्रिया का अभ्यास नहीं किया है उसके लिए वह संभव नहीं है। यह किसी अतिशयोक्ति के बिना कहा जा सकता है।
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०५ फरवरी
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(भीतर की ओर
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