________________
HAREnimanwwwRaneman
Syn
umsmaanaamansaharanews.kwadatmaunsaira
e
a raswinAmAHamariaen
Womm
ध्यान-वस्तु-(२) ध्यान की तीन मुद्राएं हो सकती हैं१. खड़े रहकर किया जाने वाला ध्यान २. बैठकर किया जाने वाला ध्यान ३. लेटकर किया जाने वाला ध्यान
ध्यान की इन मुद्राओं का प्रयोग प्रकृतिविश्लेषण के आधार पर किया जाना चाहिए। रागात्मक प्रकृतिवाले व्यक्ति के लिए खड़े-खड़े ध्यान करना उपयोगी है। उसके लिए गमनयोग, चलना हितकर है। अधिक बैठना हितकर नहीं है।
द्वेषात्मक प्रकृतिवाले व्यक्ति के लिए बैठकर ध्यान करना अधिक उपयोगी है।
लेटकर ध्यान करना दोनों प्रकृतिवालों के लिए उपयोगी है।
ध्यान की सफलता प्रकृति-विश्लेषण के आधार पर किये जाने वाले निर्णय पर बहुत अधिक निर्भर है।
ameranwrm.wo imprmer
ruaryiaser-mishrammern..
. VatuRONAUnemamaruwaonomyamirmiresvargnentaruaaORApy
aurotramayabata
BAwakedaMANDumdhumOLAMBrahmanilavara
२५ जनवरी
२०००
........... भीतर की भोर
-----
Har
-
PRIMAmanand
..
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org