________________ इक्कीसवीं शताब्दी अध्यात्म की शताब्दी होगी यह स्वर यत्र तंत्र सुनाईदेवहा है। आर्थिक विकास, पदार्थ विकास और यान्त्रिक विकास की दौड़ ਸੌ ਵਧੀ ਜੀ ਗੁਰਿ ਫਿਰ ਬੋਗੀ ? ਫੋਲੋ ਗੀ? ਛੜੇ ਬੁਕਲੇ ਜੋ ਭਰਕੇ ਫੋਲੀ सहज सरल नहीं है। विश्व-मानव इन्द्रिय चेतना के स्तर पर जी वहा है। उसका आकर्षण अर्थ, पदार्थ और यन्त्र के प्रति अधिक है। इन्द्रियातीतचेतना के जागरण ਤੋ ਉਠੀ ਧੀ ਕੋ ਧੁਰਿ ਉਹ कैसे होगा? ain Education nternationaFor Private & ersonal Use Only, w w .jainelibrary.org