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अज्ञात को ज्ञात करना मन के अदृश्य विकार को जो देखता है उसके विकार स्वयं क्षीण हो जाते हैं।
व्यक्ति खुली आंख से देखता है फिर आंख मूंदकर देखता है। यह प्रयोग अदृश्य को दृश्य बनाने वाला है।
आंखों पर दोनों हाथ रखने पर विचार शून्यता की स्थिति बनती है। पांच से पन्द्रह मिनिट तक इसका अभ्यास किया जाए तो अज्ञात भी ज्ञात होने लगता है।
३१ दिसम्बर
२०००
(भीतर की ओर
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