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छठठकठक
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जागृति साधक को जागृत रहना जरूरी है। मूछी या शून्यता ध्यान नहीं है। ध्यान है जागृति।
जागृत रहने के लिए अनेक प्रयोग हैं, उनमें श्वास का प्रयोग सर्वोत्तम है।
सर्वप्रथम जागृत रहने का संकल्प करें। दीर्घ श्वास का प्रयोग करें।
श्वास के साथ-साथ चेतना को भीतर ले जाए और गहरे में उतरें। अनुभव करें-श्वास और चेतना एक हो रही है।
श्वास के साथ बाहर आएं।
श्वास लेने और छोड़ने के बीच जो अश्वास की स्थिति है उसके प्रति जागरूक रहें।
३० दिसम्बर
२०००
भीतर की ओर
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