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मातृका-न्यास-(२) न्यास दो प्रकार का होता है१. बाह्य मातृका-न्यास २. आन्तरिक मातृका-न्यास
आन्तरिक मातृका-न्यास अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।
आन्तरिक मातृका-न्यास की विधि
१. नाभि कमल (तैजसकेन्द्र) पर सोलह पत्तों वाले कमल की कल्पना करें। प्रत्येक पत्र पर अकार आदि सोलह स्वरों का न्यास करें।
२. हदय कमल (आनन्दकेन्द्र) पर चौबीस पत्तों वाले कमल की कल्पना करें। प्रत्येक पन पर ककार आदि वर्गों का ध्यान करें। मध्यवर्ती कमल पर मकार का न्यास करें।
३. मुख कमल पर आठ पत्तों वाले कमल की कल्पना करें। प्रत्येक पत्र पर यकार आदि वर्णों का न्यास करें। मानसिक स्तर पर स्वर और वर्ण लिखें, फिर उन पर ध्यान करें।
०७ दिसम्बर
२०००
भीतर की ओर
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