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प्रेक्षा और कर्म सिद्धान्त कर्म की दो अवस्थाएं होती हैं—बंध और उदय। उदय के क्षण में कर्म का फल मिलता है। उदय की दो अवस्थाएं हैं---
१. विपाक उदय २. प्रदेश उदय
विपाकोदय के क्षण में कर्म-फल का स्पष्ट अनुभव होता है।
प्रदेशोदय के क्षण में कर्म-फल का अनुभव नहीं होता है।
ध्यान, जप और प्रयोगों द्वारा विपाकोदय को प्रदेशोदय में बदला जा सकता है।
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१८ जनवरी
२०००
(भीतर की ओर
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