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प्रतिसलीनता (प्रत्याहार)-(३)
सुखासन में बैठो। आंखें बंद करो। भीतर शांको।
इन्द्रिय प्रवृत्ति को उलटो-भीतर देखो, भीतर सुनो, भीतर चलो, भीतर बोलो, बैठो, सूंघो, चखो, सब कुछ भीतर करो।
प्रतिदिन आधा घण्टे का प्रयोग करें। कुछ दिनों में अनुभव होगा-अन्तर्मुखी दृष्टिकोण का विकास हो रहा है।
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३१ अक्टूबर
२०००
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भीतर की ओर
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