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原民 ठळ3066
प्रतिसंलीनता (प्रत्याहार) - (2)
४. चक्षु प्रतिसंलीनता
दोनों नेत्रों को तर्जनी और मध्यमा से कोमलता से बंद करें। दृष्टि को आकाश में ले जाएं। चित्त को दोनों नेत्रों में केन्द्रित करें। अंगूठों को कानों में, अनामिकाओं के ऊपर के होंठ पर, कनिष्ठकाओं को निचले होंठ पर रखें।
अनिमेषध्यान से भी चक्षु की प्रतिसंलीनता होती है।
५. श्रोम प्रतिसंलीनता
सर्वेन्द्रिय-संयम मुद्रा, दृष्टि भ्रूमध्य में स्थापित करें। सिर आकाश की ओर रहे। इस मुद्रा में अनाहतनाद सुनने का अभ्यास करें।
३० अक्टूबर २०००
भीतर की ओर
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