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हठळ68
सुरक्षा कवच-(१) बाहरी आघातो, प्रत्याघातों, अनिष्ट विचारों से अपनी सुरक्षा के लिए मंत्र का कवच किया जाता है। वैसे ही प्राण-ऊर्जा का भी कवच बनाया जा सकता है।
दर्शन केन्द्र पर ध्यान करें। 'ॐ हीं णमो सिद्धाण' का जप करें। बाल सूर्य को सामने देखें, उसकी रश्मियां दर्शन केन्द्र पर आ रही हैं। ये रश्मियां शरीर के प्रत्येक अवयव को प्राण-ऊर्जा से परिपूरित कर रही हैं। मंत्र का जप निरन्तर चलता रहे। शरीर के चारों ओर अभेद्य कवच का निर्माण हो रहा है। शरीर के चारों ओर तीन वलयों का निर्माण करें।
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०१ अक्टूबर
२०००
(भीतर की ओर)
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