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ठठा
अतीन्द्रिय चेतना अतीन्द्रिय ज्ञान इन्द्रियों से निरपेक्ष होता है। मनुष्य इन्द्रियों पर इतना निर्भर हो गया है कि उसकी अतीन्द्रिय चेतना दबी हुई-सी प्रतीत होती है।
विचार और संवेदन का जितना नियंत्रण, उतना अतीन्द्रिय चेतना का विकास।।
स्थूल शरीर और स्थूल मन को निष्क्रिय तथा सूक्ष्म शरीर और सूक्ष्म मन को सक्रिय करने का विकास अतीन्द्रिय चेतना के विकास का अभ्यास है।
०६ सितम्बर
२०००
(भीतर की ओर
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भीतर की ओर
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