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जीवन के स्तर - [३]
जीवन का तीसरा स्तर शक्ति की संहति का स्तर है । इस स्तर पर मनुष्य के आचार, व्यवहार आदि का निर्धारण होता है।
इस स्तर को मर्म, चक्र आदि शब्दों द्वारा प्रतिपादित किया गया है। प्रेक्षाध्यान के अनुसार यह चैतन्य केन्द्रों का स्तर है ।
शरीर के जिस भाग में आत्मा के प्रदेश प्रचुर परिमाण में एकत्रित हो जाते हैं, उसका नाम है मर्म । इन्हीं के आधार पर मनुष्य अपने कार्यकलाप में ऊर्जा प्राप्त करता है ।
०८ जनवरी २०००
भीतर की ओर
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