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संभेद प्रणिधान-(१) ध्याता और ध्येय के साथ संबंध स्थापित होने पर ही जप अथवा ध्यान सफल होता है।
सफलता के लिए प्रणिधान का अभ्यास जरूरी है। प्रणिधान दो प्रकार का होता है
१. संभेद प्रणिधान २. अभेद प्रणिधान
अभ्यास का प्रारम्भ संभेद प्रणिधान से करना चाहिए। संभेद प्रणिधान के अभ्यास में ध्याता ध्येय के साथ संबंध स्थापित करता है, ध्येय के साथ उसका संश्लेष हो जाता है।
२८ मई २०००
भीतर की ओर
Rame
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