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सप्त धातु और चैतन्य केन्द्र
शरीर सात धातुओं से निर्मित है। उनके साथ चैतन्य केन्द्रों का ध्यान किया जाता है। यदि वर्ण और धातुओं के साथ चैतन्य केन्द्रों पर ध्यान किया जाए तो वह अधिक प्रभावी बनता है। विधि इस प्रकार है—
चैतन्य केन्द्र
१. शक्ति केन्द्र
२. स्वास्थ्य केन्द्र
३. तैजस केन्द्र
४. आनन्द केन्द्र
५. विशुद्धि केन्द्र ६. दर्शन केन्द्र
7. दर्शन केन्द्र
धातु
अस्थि
मेद
मांस
त्वग्
असृक्
मज्जा
शुक्र
२३ अप्रैल
२०००
वर्ण
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भीतर की ओर
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