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हठठठ
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चैतन्य केन्द्र और यन्थितन्त्र-(१)
आगम साहित्य और आयुर्वेद में मर्म का विशद विवेचन हुआ है। हठयोग में उसका वर्णन चक्र सिद्धान्त के आधार पर किया गया है। आयुर्विज्ञान (Medical Science) में अन्तःस्रावी ग्रन्थियो, उनके सावों और उनके प्रभावों का अध्ययन किए बिना चक्र सिद्धान्त की पूरी अवधारणा स्पष्ट नहीं होती। अतः ध्यान करने वाले व्यक्ति को ग्रन्थितन्न के बारे में जानना बहुत आवश्यक है।
RamRMIRE
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manumanAmasa
२१ अप्रैल २०००
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(भीतर की ओर
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