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'इससे भी भयंकर! आपका तथा आपके कुटुम्ब का वध करने का सम्राट् ने निर्णय लिया है। आप मगध साम्राज्य की शक्ति हैं। आप सत्य को प्रकट कर मगध की शक्ति को बचा लें। मगध के अकल्याण को रोकें। महात्मा कल्पक के वंश की ज्योति को अमर रखें। ____ महामंत्री कुछ क्षण मोन रहकर बोले- 'पुत्र! तुम निश्चिन्त रहो। जो होगा, उसे कोई नहीं रोक सकेगा। मगध की शक्ति का यदि विनाश होना ही है तो कोई उसको नहीं रोक सकता। परन्तु महात्मा कल्पक के वंश की ज्योति कभी नहीं बुझेगी। शकडाल की पवित्रता का परिचय अवश्य मिलेगा।'
विमलसेन खड़ा हुआ। शकडाल के चरणों में प्रणाम किया। महामंत्री के चरणों पर विमलसेन के आंसू ढलक पड़े। शकडाल ने विमलसेन को उठाते हुए कहा- 'हमने तो बातचीत की है, उसे तुम गुप्त रखना। तुम निश्चिन्त होकर घर जाओ। सब कुछ ठीक होगा।' विमलसेन घर की ओर लौट गया।
महामंत्री जिनेश्वर देव का स्मरण करते-करते बाहर आए और शयनगृह में न जाकर उपासनागृह में चले गए। वहां वे एकाग्र हो गए। उनकी आंखों में आंसुओं का प्रबल प्रवाह स्पष्ट दिख रहा था।
आर्य स्थूलभद्र और कोशा
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