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न वेत्ति राजा यदसौ शकडालः करिष्यति ।
व्यापाद्य नन्दं राज्ये, श्रीयकं स्थापयिष्यति ॥
यह मंत्र पद्य सुनकर सम्राट् क्या नहीं करेगा। बच्चे-बच्चे के मुंह पर यह श्लोक होना चाहिए। सम्राट् को भान हो जाएगा कि शकडाल मेरा वध कर श्रीयक को राज्य दिलाने का प्रयास कर रहा है। यह बात सारे नगर में फैल चुकी है। मैं ही अंधा हूं कि इस बात पर गौर नहीं कर रहा हूं।'
सुकेतु बोला- 'कविराज! मुझे भी कुछ-कुछ विश्वास हो रहा है कि यह मंत्र मेरी और आपकी आशा को पूर्ण करने में सफल होगा।'
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आर्य स्थूलभद्र और कोशा
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