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आगम का गंगावतरण
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१०० वर्ष लगेंगे, लेकिन जो कुछ काम उन्हें दिखाया गया तो उन्होंने इतना ही कहा-"आचार्यजी ! आपको कोई देवता ही मदद कर रहे हैं। यों भी देखा जाय तो लगभग आगम भाष्य का काम आचार्य तुलसी ३७ वर्षों से कर ही रहे हैं।
__ आगम संपादन में आचार्य तुलसी की दीर्घदृष्टि थी। उन्होंने इसके लिए तीन शर्ते रखी हैं—जो संभवतः सारस्वत-यज्ञ की साधना ही है।
१. इस प्रत्येक कार्य में कोई वेतन-भोगी कार्यकर्ता नहीं होगा। सभी
कार्यकर्ता अवैतनिक होंगे। २. यह कार्य पूर्णतः असाम्प्रदायिक दृष्टि से किया जायेगा ताकि जैनों __के सभी संप्रदायों को एक सामान्य हो सके । ३. जो कार्य होगा वह इतना गंभीर एवं ठोस होगा कि उसे "अपूर्व" __ कहा जा सके।
औरंगाबाद में महावीर जयन्ती में घोषणा के उसी साल के चातुर्मास में उज्जैन में आगमों की शब्द सूची के निर्माण का कार्यारम्भ हुआ, साथ-साथ हिन्दी अनुवाद एवं संस्कृत छाया का भी काम चलने लगा। सूत्र का अर्थ मूलस्पर्शी रखने के लिए व्याख्या ग्रन्थों की अपेक्षा मूल आगमों का आधार अधिक लिया गया। लक्ष्य यह रहा कि आगमों के द्वारा आगमों की व्याख्या हो क्योंकि आगम परस्पर अवगुंठित हैं । विशेष अर्थ यदि कहीं सूझे तो टिप्पणियों में स्पष्ट किये गये कालक्रम के अनुसार अर्थ भेद कैसे हुआ यह भी बताया गया है। वैदिक और बौद्ध साहित्य से तुलना भी की गयी है। मौलिक अर्थ के अवगाहन में तटस्थ दृष्टि रखी गयी है। परम्परा-भेद के स्थलों को टिप्पणी में स्पष्ट किया गया। आगम साहित्य के संकलन की चार प्रमुख वाचनायें हुई हैं। पहली वाचना वीर-निर्वाण की दूसरी शताब्दी में पाटलीपुत्र में १२ वर्ष के दुष्काल स्वरूप और श्रमण संघ छिन्न-भिन्न होने के कारण श्रुतकेवली भद्रबाहु ने दी। दूसरी वाचना वीर निर्वाण ८२७ और ८४० के मध्य में पुनः भीषण दुभिक्ष के कारण श्रमण-संघ के छिन्न-भिन्न होने से स्कंदिलाचार्य की अध्यक्षता में मथुरा में हुई जो माथुरी वाचना कही जाती है। तीसरी वाचना भी वीर-निर्वाण के ८२७-८४० मध्य में वल्लभी में आचार्य नागार्जुन की अध्यक्षता में हुई। इसलिये इसे नागार्जुनीय वाचन कहा जाता है । वेय की वाचना वीर निर्वाण की १० वीं शताब्दी में ९८०-९९३ वर्ष में वल्लभी में ही देवद्धिगणी क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में हुई। इसके पश्चात् संशोधन, परिवर्द्धन या वाचना या संपादन का महत्तर कार्य आचार्य तुलसी, युवाचार्य एवं उनके साधु-संतों की सामूहिक साधना का ही प्रतिफल है।
इस संपादन कार्य में सबके पहला कार्य था संशोधित पाठ संस्करण
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