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जैनदर्शन : चिन्तन - अनुचिन्तन
भी प्रश्रय नहीं मिल सकता । दुष्ट हेतु से किया गया सत्याग्रह न तो अहिंसक है, न प्रजातंत्र में इसका कोई स्थान है । वास्तव में वह सत्याग्रह है ही नहीं,
वह तो दुराग्रह है ।
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