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जैनदर्शन : चिन्तन-अनुचिन्तन ६. स्वास्थ्य विज्ञान की दृष्टि
स्थानाभाव से इस वैज्ञानिक सत्य के विषय में हम इतना ही कह सकते हैं कि हमारे शरीर एवं पाचन यंत्र की बनावट मांसाहार के उपयुक्त नहीं हैं । मांसाहार से प्रायः यक्ष्मा, टाइफायड बुखार आदि अनेक रोगों का संक्रमण हो जाता है । प्राकृतिक जीवन के लिये तो मांसाहार आवश्यक तो नहीं ही है, सुलभ पाचन आदि की दृष्टि से यह बाधक भी है। तुलनात्मक शरीर रचनाशास्त्र की दृष्टि से भी निरामिष आहार उपयोगी है। आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा में तो इसीलिये मांसाहार का निषेध है। फिर स्वास्थ्य की कल्पना शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक तीनों है । निरामिष आहार और विशेष कर सात्विक आहार से शरीर स्वस्थ, मन प्रसन्न एवं हृदय शुद्ध रहता है । मांसाहार के साथ-साथ धीरे-धीरे मद्यपान आदि का भी अभ्यास होने लगता है। मांसाहार उत्तेजना पैदा करता है एवं उसमें आलस्य भी । उदाहरण स्वरूप जो प्राणी मांसाहारी हैं वे जल्दी थकते हैं, जबकि जो निरामिष पशु जैसे हाथी, ऊंट, घोड़े आदि काफी मजबूत होते
__ जब हम पशु एवं मानव स्वास्थ्य के व्यापक संदर्भ में विचार करते हैं तो हमें यह मानना होगा कि मानव-कल्याण में पशुओं का भी योगदान है । आवश्यकता इस बात की है कि दोनों के बीच संतुलित सम्बन्ध स्थापित किया जाय । मनुष्य, पशु एवं पर्यावरण के सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध न केवल मानवस्वास्थ्य के लिये बल्कि उसके मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य के लिये भी आवश्यक है । हृदय रोग-आयोग ने यह अनुशंसा दी है कि हृदय रोग से बचने के लिये शुद्ध पौष्टिक निरामिष भोजन अनुकूल है । सामिष भोजियों के बीच कैंसर अपेक्षाकृत अधिक होता है। सबसे खतरनाक बात है कि मांसाहार के माध्यम से पशु का रोग मनुष्यों में आ जाता हैं । मृत पशु का मांस पाचन शक्ति पर अधिक काम देता है । वध के समय पशु का भय, चिन्ता, उद्विग्नता आक्रोश आदि उसके रक्त-स्राव को प्रभावित करते हैं और उनसे हम भी प्रभावित होते हैं । शरीर रचना शास्त्र यह बताता है कि मानव शरीर मांसाहारी पशुओं की तरह नहीं है। इसकी अंतड़िया अपेक्षाकृत बहुत लम्बी होती हैं । आदमस्मिथ (वेल्थ आफ नेशन) ने निरामिष भोजन को सर्वाधिक स्वास्थ्य प्रद बताया है। ७. निरामिष आहार और विश्वशान्ति
प्रकृति, पशु-पक्षी और मानवों के बीच एक अतिसम्बन्ध है। इन लीनों की समग्रता जब छिन्न-भिन्न की जाती है तो व्यवधान होता है। इससे इमें करूणा और सहानुभूति का पदार्थ पाठ प्राप्त होता है। जब हम एक पशु
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