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पांचवां बोल
आहार-पर्याप्ति के द्वारा हम आहार के योग्य पुद्गलों को लेते हैं, उन्हें आहार के रूप में परिणत करते हैं और असार पुद्गलों को छोड़ देते हैं।
शरीर-पर्याप्ति के द्वारा शरीर के योग्य पुद्गलों को लेते हैं, शरीर के रूप में परिणत करते हैं और असार पुद्गलों को छोड़ देते हैं।
इंद्रिय-पर्याप्ति के द्वारा इंद्रिय के योग्य पुद्गलों को लेते हैं, इन्द्रिय के रूप में परिणत करते हैं और असार पुद्गलों को छोड़ देते हैं।
श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति के द्वारा श्वासोच्छ्वास के योग्य पुद्गलों को लेते हैं, श्वासोच्छ्वास के रूप में परिणत करते हैं और असार पुद्गलों को छोड़ देते हैं।
भाषा-पर्याप्ति के द्वारा भाषा के योग्य पुद्गलों को लेते हैं, भाषा के रूप में परिणत करते हैं और असार पुद्गलों को छोड़ देते हैं।
मनःपर्याप्ति के द्वारा मानस विचारों के योग्य पुद्गलों को लेते हैं, मानस विचारों के रूप में परिणत करते हैं और असार पुद्गलों को छोड़ देते हैं।
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