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मन-रहित हैं। इनको असंज्ञी मनुष्य भी कहते हैं।
गर्भज-ये मनुष्य गर्भ में उत्पन्न होते हैं। ये मन सहित होते हैं, अतः इनको संज्ञी मनुष्य कहते हैं । ये दो प्रकार के होते हैं:
(१) कर्म-भूमिक- असि (तलवार आदि शस्त्र), मसि (लेखन), कृषि, वाणिज्य-व्यवसाय और शिल्प-कला आदि के द्वारा जहां पर जीवन निर्वाह किया जाय, वह कर्मभूमि कहलाती है । उसमें रहने वाले मनुष्य कर्म-भूमिक कहलाते हैं।
जीव-अजीव
(२) अकर्म-भूमिक-जहां पर असि, मसि आदि कर्मों की व्यवस्था न हो, जहां जीवन-निर्वाह का मुख्य साधन - प्राकृतिक साधन, प्राकृतिक उपज (कल्पवृक्ष) हो, उसे अकर्म-भूमि कहा जाता है। उस भूमि के मनुष्य अकर्म-भूमिक कहलाते हैं।
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