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जैन विद्या रत्न (द्वितीय वर्ष) १६८४ प्रथम प्रश्न पत्र समय : ३ घंटा
पूर्णांक : १००
१. केवल नामोल्लेख करें
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शुक्लध्यान के चार भेद, मतिज्ञान के भेद, अन्तिम चार गुणस्थान, आभ्यन्तर तप के प्रकार, पांच अनुत्तर विमान, स्वाभाविक स्कन्ध, वनस्पति- काय जीवों के उत्पन्न होने के स्थान, कार्य की उत्पत्ति के पांच कारण, मनुष्यायु बन्ध के चार कारण ।
२. (क) कर्मवर्गणा के पुद्गलों के स्पर्श कौन-कौन से होते हैं ? (ख) अनपवर्तनीय आयुवाले जीवों के नाम बताइये। (ग) आकाश का क्षेत्र और काल का गुण बताइये । ३. किन्ही पांच प्रश्नों के उत्तर अति संक्षेप में दीजिये १. दूसरे गुणस्थान का कालमान कितना होता है? २. माया करने से किस कर्म का बन्ध होता है? ३. आहार पर्याप्ति का कालमान बताइये? ४. एक जीव के कितने प्रदेश होते हैं? ५. अण्डज जीवों के कितनी इन्द्रियां होती हैं? ६. व्यंतर देवों का दण्डक कौन-सा है?
७. 'विपाक-विचय' किस ध्यान का भेद है?
८. मुक्त आत्माओं का संसार में पुनरागमन क्यों नहीं होता ? ६. काल के परम सूक्ष्म भाग का नाम बताइये ।
४. अति संक्षेप में किन्हीं पांच का उत्तर दें।
(१) वक्रगति में जीव अधिक से अधिक कितने मोड़ ले सकता है ? (२) गेहूं का दाना किस गति और जाति का जीव है?
(३) मिथ्या दृष्टि किस कर्म का क्षयोपशम है ? (४) उपशम श्रेणी किस गुणस्थान से प्रारम्भ होती है ? (५) आयुष्य प्राण का कारण कौन सी पर्याप्ति है?
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