SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ : भिक्षु विचार दर्शन नेता का अर्थ होता है दूसरों को लेकर चलने वाला । जो व्यक्ति नेता होकर भी दूसरों के मन को नहीं पढ़ सकता, वह दूसरों को साथ लिये नहीं चल सकता। दूसरों को साथ लेकर चलने के लिए जो चलता है, वह दूसरों के मन को नहीं पढ़ सकता । दूसरों के मन को वह पढ़ सकता है जिसके मन की स्वच्छता में दूसरों के मन अपना प्रतिविम्ब डाल सकें । जिसका मन इतना स्वच्छ होता है, उसकी गति के साथ असंख्य कदम चल पड़ते हैं । १६. व्यवहार - कौशल अन्तर की शुद्धि का महत्त्व अपने लिए अधिक होता है, दूसरों के लिए कम । व्यवहार की कुशलता का महत्त्व अपने लिए कम होता है, दूसरों के लिए अधिक । अन्तर की शुद्धि के बिना कोरी व्यवहार कुशलता छलना हो. जाती है और व्यवहार कुशलता के बिना अन्तर की शुद्धि दूसरों के लिए उपयोगी नहीं होती । एक गांव में साधु भिक्षा लेने के लिए गये। एक जाटनी के घर आटे का घावन था । साधुओं के मांगने पर भी उसने नहीं दिया। साधु खाली झाली लिये लौट आये । साधुओं ने कहा - 'जल बहुत है पर मिल नहीं रहा है ।' भिक्षु - क्यों? क्या वह बहिन देना नहीं चाहती ? साधु- वह जो देना चाहती है, वह अपने लिए ग्राह्य नहीं है और जो ग्राह्य है उसे वह देना नहीं चाहती । भिक्षु उसे धोवन देने में क्या आपत्ति है? साधु - वह कहती है-आदमी जैसा देता है वैसा ही पाता है । आटे का धोवन दूं तो मुझे आगे वही मिलेगा । मैं यह नहीं पी सकती । यह साफ पानी है, आप ले लीजिए । आचार्य भिक्षु उठे और साधुओं को साथ लेकर उसी घर में गये । धोवन की मांग करने पर उस बहिन ने वही उत्तर दिया, जो वह पहले दे चुकी थी । - भिक्षु - बहिन ! तेरे घर में कोई गाय है? बहिन- हां, महाराज ! है 1 भिक्षु - तू उसे क्या खिलाती है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003095
Book TitleBhikshu Vichar Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy