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________________ मोक्ष-धर्म का विशुद्ध रूप : ११३ साधु डूब रहा हो उसे तारे या नहीं डूब रहा हो उसे? मारने वाले को समझाए या मरने वाले को? मारने वाले को समझाकर हिंसा छुड़ाए, वह धर्म है, मोक्ष का मार्ग है। दूसरा उदाहरण देते हुए आचार्य भिक्षु ने कहाः एक साहूकार के दो पुत्र हैं। एक ऋण लेता है और दूसरा ऋण चुकाता है। पिता किसको वर्जेगा? ऋण लेने वाले को या ऋण चुकानेवाले को? . साधु सब जीवों के पिता के समान हैं। मारने वाला अपने सिर ऋण करता है मरने वाला ऋण चुकाता है। साधु मारने वाले को समझाएगा कि तू ऋण क्यों ले रहा है? इससे भारी होकर डूब जाएगा, अधोगति में चला जाएगा। इस प्रकार मारने या ऋण लेनेवाले को समझााकर हिंसा छुड़ाना धर्म है। यह हृदय-परिवर्तन की मीमांसा है। आचार्य भिक्षु का दुष्टिकोण यह था कि मरने वाले को बचाने का यत्न किया जाए, यह मनुष्य की सहज प्रवृत्ति है किन्तु मारने वाले को हिंसा के पाप से बचाने का यत्न किया जाए, इसमें धर्म की स्फुरणा है। विनोबाजी ने कहा है-सेवा में अहंकार होगा तो वह सेवा अध्यात्म के खिलाफ होगी। ____ कोई कहता है-सेवा में स्वार्थ हो तो सेवा अध्यात्म के खिलाफ होगी। कोई कहता है-सेवा में असंयम हो तो वह सेवा अध्यात्म के खिलाफ होगी। अध्यात्मवादी सेवा को ही गलत नहीं मानते हैं। वे उसे अनेक दृष्टिकोणों से देखते हैं और उसे अनेक भूमिकाओं में विभक्त करते हैं। डॉक्टर मनुष्य-समाज की सेवा के लिए नये-नये प्रयोग करते हैं। महात्मा गांधी ने उनकी आलोचना की है। वे लिखते हैं- “अस्पताल तो पाप की जड़ हैं। उनके कारण मनुष्य अपने शरीर की तरफ से लापरवाह हो जाता है और अनीति बढ़ती है। अंग्रेज डॉक्टर तो सबसे गये बीते हैं। वे शरीर की झूठी सावधानी के लिए ही हर साल लाखों जीवों की जान लेते हैं। जीवित प्राणियों पर वे विभिन्न प्रयोग करते हैं। यह बात किसी धर्म में नहीं है। १. भिक्ख दृष्टान्त, १२८, पृ. ५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003095
Book TitleBhikshu Vichar Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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