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________________ ११२ : भिक्षु विचार दर्शन एक को अपना प्रारब्ध भोगना चाहिए। हम किसी बीमार की सेवा करने जाते हैं तो उसके प्रारब्ध में दखल देते हैं। मैं बीमार हुआ तो मान लो कि पिछले जन्म की या इस जन्म की कुछ गलती होगी। इस जन्म की गलती हो तो उसे सुधारूंगा। पुराने जन्म की हो तो प्रारब्ध भोगूंगा। इस तरह मैं अपने लिए कह सकता हूं, लेकिन लोग दुःखी या बीमार पड़े हैं और मैं ज्ञानी होकर उनसे यह कहूं कि तुम्हारा प्रारब्ध क्षय हो रहा है; उसमें मैं सेवा करके दखल नहीं दूंगा, क्योंकि मैं निवृत्ति-प्रधान हूं तो क्या कहा जाएगा? आध्यात्मवादी सेवा को ही गलत मानते हैं। यह बात ठीक है कि सेवा में अहंकार हो तो वह सेवा अध्यात्म के खिलाफ होगी, लेकिन क्या यह जरूरी है कि सेवा में अहंकार हो ही? सेवा निष्काम भी हो सकती है। भगवद्गीता ने हमें निष्काम सेवा करना सिखाया है, परन्तु लोगों ने आध्यात्मिक सेवा को यहां तक निवृत्ति-परायण बताया कि उनका सेवा या नीति से कोई सम्बन्ध नहीं रहा है।" "हम किसी बीमार की सेवा करने जाते हैं तो उसके प्रारब्ध में दखल देते हैं"-यह मान्यता किसी भी जैन सम्प्रदाय की नहीं है। जैनों का कर्मवाद कारण-सामग्री को भी मान्यता देता है। सुख के अनुकूल कारण-सामग्री मिलने पर सुख का उदय भी हो सकता है। यही बात दुःख के लिए है। हम किसी के सुख-दुःख के निमित्त बन सकते हैं। विनोबाजी ने जिस तत्त्व की आलोचना की है, वह या तो उसके सामने सही रूप में नहीं रखा गया या उन्होंने उसे अपनी दृष्टि से ही देखा है। इस चर्चा का मूल आचार्य भिक्षु के इस जीवन-प्रसंग में है: एक व्यक्ति ने पूछा-भीखणजी! कोई बकरे को मार रहा हो उससे बकरे को बचाया जाए तो क्या होगा? । ___मारने वाले को समझाकर हिंसा छुड़ाई जाए तो धर्म होगा-आचार्य भिक्षु ने कहा। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा-'ये दो अंगुलियां हैं। एक को मारने वाला मान लो और एक को बकरा । इन दोनों में कौन डूबेगा-मरने वाला या मारने वाला? नरक में कौन जाएगा-मरनेवाला या मारनेवाला? प्रश्नकर्ता ने उत्तर दिया-मारनेवाला। १. विनोबा प्रवचन, २६ मई, १९५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003095
Book TitleBhikshu Vichar Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages218
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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