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कैसे सोचें ?
शिक्षा के क्षेत्र में मस्तिष्क को बदलने का प्रयत्न किया जा रहा है, किन्तु वृत्तियों को बदलने का और उनके परिष्कार का प्रयत्न नहीं किया जा रहा है 1 यह सबसे बड़ी सच्चाई हमें अनुभूत हो रही है कि ध्यान के द्वारा दृष्टि का परिवर्तन और चारित्र - आचरण का परिवर्तन किया जा सकता है । दृष्टि की मूढ़ता पैदा करने वाली मूर्च्छा और आचरण और व्यवहार में मूढ़ता पैदा करने वाली मूर्च्छा ये दोनों मूर्च्छाएं हमारे सामने हैं । जब तक ये दोनों परिष्कृत नहीं होंगी, तब तक दृष्टि और चारित्र का परिष्कार नहीं किया जा सकेगा । न मनुष्य का दृष्टिकोण बदलेगा और न चरित्र का कोई परिष्कार होगा । कुछ भी नहीं होगा। जो लोग प्रेक्षाध्यान में बैठे हैं, जिन्होंने प्रेक्षाध्यान का अभ्यास शुरू किया है, जो लोग चाहते हैं कि सचाइयों का अनुभव कर सकें, समझ सकें, उन लोगों के लिए बहुत जरूरी है, वे गहराई से अनुभव करें कि वे यहां न क्रोध को मिटाने आए हैं, न अहंकार को मिटाने आए हैं, न और दीखने वाले परिणामों को मिटाने आए हैं, वे आए हैं केवल वृत्ति के अनुसंधान के लिए, उस वृत्ति की खोज के लिए जो वृत्ति इन सारे परिणामों को पैदा करती है, जिसके कारण ये सारे परिणाम आते हैं । ये परिणाम जब मिट जाते हैं तब सही दृष्टि होती है, सम्यक् दृष्टि होती है। अभी तो दृष्टि सम्यक् नहीं है। सारी दृष्टि आवेश के आधार पर चल रही है।
एक आदमी ने दूसरे से कहा- - मैंने देखा कि तुम्हारी पत्नी अपने प्रेमी से बात कर रही थी । उसे गुस्सा आ गया। उसने हाथ में बन्दूक ली और पूछा, कहां है ? बोला, बगीचे में । उसने कहा- अभी जाता हूं गोली से मार देता हूं । चला आवेश में, बगीचे में जा पहुंचा और इतने में ध्यान आया, अरे ! मेरा ब्याह अभी तो हुआ ही नहीं ।
एक बनी बनाई धारणा है कि अपनी पत्नी किसी प्रेमी से बात करे उसे गोली मार देनी चाहिए । मन का आवेश बना हुआ है, धारणा बनी हुई है। स्मृति खोई हुई है । यह पता नहीं है कि ऐसा हुआ है या नहीं। बस ! अपनी पत्नी किसी प्रेमी से बात करे - यह कैसे सहन हो सकता है ? गोली मार देना ही उसे दीखता है ।
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आज कुछ ऐसी ही विचित्र स्थिति चल रही है। आदमी आवेश से आविष्ट होकर मान्यता और धारणा के आधार पर ऐसे-ऐसे निर्णय कर लेता है कि उसे अपनी स्मृति ही नहीं कि वह क्या कर रहा है ।
ध्यान के द्वारा हमारी खोई हुई स्मृति जागे । हम समग्रदृष्टि से अनावेश की परिस्थिति में सही चिन्तन करें, सही निर्णय लें और सही निर्णय के आधार पर अपनी समस्या के मूल को खोजें और वहीं से समाधान प्राप्त करें ।
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