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कैसे सोचें ?
किन्तु बुद्धिमान देखता रहा।
हम समग्रता की दृष्टि से चिंतन करें, एकांगी दृष्टिकोण से नहीं। जब कोई भी बात एकांगी दृष्टिकोण से पकड़ी जाती है, जहां समग्रता की बात नहीं होती, वहां हमारी वृत्ति भी ठीक काम नहीं करती, प्रवृत्ति भी ठीक काम नहीं करती और उसका सम्यक् परिणाम भी नहीं होता। समग्रता की दृष्टि में तीनों बातें जुड़ी हुई हैं। समग्रता के आधार पर चिन्तन करने वाला केवल परिणाम के आधार पर निष्कर्ष नहीं निकालेगा। समग्रता की दृष्टि से चिन्तन करने वाला व्यक्ति केवल प्रवृत्ति के आधार पर परिणाम नहीं निकालेगा और समग्रता की दृष्टि से चिन्तन करने वाला व्यक्ति कोरी वृत्ति के आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकालेगा। वह तीनों का अध्ययन करेगा।
मनोविज्ञान में आज व्यावहारिक मनोविज्ञान का अध्ययन हो रहा है। व्यवहार के आधार पर मनुष्य की मानसिक अवस्थाओं का अध्ययन हो रहा है, वृत्तियों का अध्ययन हो रहा है। लगता है कि मनुष्य ने समग्रता की दिशा को पकड़ा है। एक बच्चा, माता-पिता का अनुशासन नहीं मानता, बड़ा उद्दण्ड है, हर किसी से लड़ लेता है, बच्चों को मारता है, पीटता है, गालियां बकता है, उसमें ये सारी प्रवृत्तियां हैं। प्रवृत्ति को भी माता-पिता मिटाना चाहते हैं। बच्चा लड़ेगा, मां को पता चलेगा, एक चांटा जड़ देगी, क्योंकि उस प्रवृत्ति को मिटाना चाहती है। क्या चांटा जड़ा और प्रवृत्ति मिट गई ? अगर ऐसे मिट जाती तो सारे बच्चे सुधर जाते। पर आज तक हमने देखा है, जिन बच्चों को पीटते हैं, वे सुधरने की अपेक्षा ज्यादा बिगड़े हैं, खराब हुए हैं। क्यों बिगड़ते हैं, क्योंकि हमने एक बात को पकड़ा है कि प्रवृत्ति मिटे । माता नहीं चाहती कि बच्चा हर किसी से लड़े। माता नहीं चाहती कि बच्चा अनुशासनहीन रहे। वह उस प्रवृत्ति को बदलना चाहती है। पर क्या प्रवृत्ति बदल जाएगी ? जब तक उसकी वृत्ति नहीं बदलेगी, प्रवृत्ति भी नहीं बदलेगी। हमारा सारा प्रयत्न होना चाहिए वृत्ति को बदलने का। हमने प्रेक्षाध्यान के संदर्भ में मूल बात को पकड़ा है कि बच्चे की प्रवृत्ति को बदलना है तो हमें वृत्ति पर ध्यान देना होगा। जब तक पिच्यूटरी और थायराइड ग्लैण्ड को जागृत नहीं किया जाता, तब तक हजार बार कहने पर भी, हजार प्रयत्न करने पर भी बच्चे को नहीं बदला जा सकता। सीधा उपाय एक ही है, बच्चे की आदतों को बदलना है तो दर्शन-केन्द्र पर ध्यान का अभ्यास कराओ, प्रवृत्तियां अपने आप बदल जाएंगी। वृत्ति को बदलना है तो प्रवृत्ति को बदलो। प्रवृत्ति बदलेगी तो परिणाम बदलेगा। लोग बड़े आग्रही होते हैं, पूरी बात को कभी नहीं पकड़ते, अधूरी बात पर भरोसा करते हैं। अधूरी बात पर भरोसा करते हैं, अधूरी बात
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