________________ मनुष्य मन वाला प्राणी है, इसलिए वह सोचता है। सोचना मन का काम है। पशु भी मन वाला प्राणी है, पर उसका नाड़ी-संस्थान विकसित नहीं होता, इसलिए उसमें सोचने की क्षमता भी विकसित नहीं होती। मनुष्य का नाड़ी-संस्थान विकसित होता है, इसलिए वह सोचने का उच्चतम भूमिका तक जा सकता है। शरीर और मन का परस्पर गहरा सम्बन्ध है। शरीर से मन प्रभावित होता है और मन से शरीर प्रभावित होता है। मन शरीर को अधिक प्रभावित करता है। इस पारस्परिक प्रभाव के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि मनुष्य का चिन्तन विधायक या रचनात्मक होता है तब शरीर भी स्वस्थ रहता है। निषोधात्मक चिन्तन शारीरिक विकृति भी पैदा करता है। मोहनीय कर्म या मूर्छा से जुड़ा हुआ सारा चिन्तन निषेधात्मक होता है। मूर्छा की उपशांति के क्षणों में होने वाला चिन्तन विधायक बन जाता है। विधायक चिन्तन से सामाजिक और मानवीय सम्बन्धों में सुधार होता है। उससे विकास और प्रगति का पथ प्रशस्त हो जाता है। निषेधात्मक भावों से सामाजिक और मानवीय सम्बन्धों में कटुता पैदा होती है, प्रगति का पथ अवरुद्ध हो जाता है। प्रगति का रहस्य सूत्र है विधायक दृष्टिकोण का विकास।