________________
भय की परिस्थिति
एक छोटा-सा चूहा और कहां महान् शक्तिशाली शेर ! कहां वह चूहा जो प्रतिपल बिल्ली से डरता और कहां शेर जो जंगल का राजा है, जिससे सब डरते हैं। इतना बड़ा बना दिया। जैसे ही चूहा शेर बना, पेट भी बड़ा बना, भूख भी ज्यादा बढ़ी। भूख से वह अकुलाया, छटपटाहट हुई। पेट कैसे भरा जाए ? उसने सोचा- क्या खाऊं, कहां से लाऊं। सामने वही मंत्रवादी खड़ा था, जिसने चूहे को शेर बनाया था। अब शेर ने सोचा, अब भूख को मिटाने के लिए इसे ही क्यों न खा लूं । तत्काल वह उस पर झपटा और खाने को दौड़ा। मंत्रवादी ने सोचा- अरे इतना कृतघ्न ! मैंने इसे डरपोक चूहे से शक्तिशाली शेर बनाया, छोटे से बड़ा बनाया और यह मुझे ही खाने आ रहा है ? तत्काल मंत्रवादी ने विपरीत मंत्र पढ़ा और वह शेर पुनः चूहा हो गया । यह है संसार की स्थिति । विश्वास कैसे किया जाए ? इस दुनिया में चूहे को शेर बनाने वाला क्या शेर पर भरोसा कर सकता है ?
पिता अपने पुत्र को छत पर खड़ा कर स्वयं नीचे आकर आंगन में खड़ा हो गया । नीचे से उसने अपने पुत्र से कहा- बेटे ! ऊपर से कूद पड़ो । मैं अपनी बांहों में तुम्हें झेल लूंगा।' पिता ने अपनी बांहे फैला दी। बेटे ने विश्वास कर लिया। वह ऊपर से कूदा। पिता ने बाहें तत्काल समेट लीं। वह नीचे फर्श पर गिर पड़ा। बेटे ने कहा- 'पिताजी ! यह क्या किया आपने ? आपने तो कहा कि बाहों में थाम लूंगा, पर ज्योंही मैं कूद आपने बाहें समेट लीं । यह क्यों ?' पिता बोला- बेटे ! तुझे मैं एक महत्त्वपूर्ण पाठ पढ़ाना चाहता था। आज अच्छा अवसर मिला । मैं यह पाठ पढ़ाना चाहता था कि संसार ऐसा है, जहां विश्वास सगे बाप का भी नहीं करना चाहिए । '
यह दुनिया ही ऐसी है । इस स्वार्थपूर्ण और लोभपूर्ण दुनिया में आदमी आदमी का विश्वास कैसे कर सकता है ? पूरे विश्वास कर ही नहीं सकता । इसलिए हर व्यक्ति के बीच में, फिर चाहे उनमें कितनी ही निकटता हो, आपस में कितना ही जुड़ाव हो, एक छिपाव है, अलगाव है और भय का सूत्र जुड़ा हुआ है । दो व्यक्ति पास-पास में हैं, फिर वे चाहे पति-पत्नी हों, पिता-पुत्र हों, माता-पुत्र हों-दोनों के बीच में संदेह का एक सूत्र बराबर काम करता है । पास में बैठे हुए भी वे अलग हैं, पूरे जुड़े हुए नहीं हैं। यह एक स्थिति है - इहलोक भय की ।
२३१
भय की दूसरी परिस्थिति है - परलोक भय । परलोक का अर्थ है - पशुजगत् । आदमी पशुजगत् से डरता है । आदमी पशु से बहुत भय खाता है। रात को हाथ में लाठी लेकर चलता है। क्योंकि उसे भय है, रास्ते में कहीं कुत्ता न काट खाए, गाय या अन्य पशु कुछ कर न दें, टक्कर न मार दें । कुछ लोग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org