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कैसे सोचें ?
अचेतन में न क्रोध होता है, न अहंकार होता है और न छलना/प्रवंचना होती है। आदमी आदमी को ठग लेता है, चेतन चेतन को ठग लेता है। पर कभी जड़ ने किसी चेतन को ठगा हो, ऐसा देखने-सुनने में नहीं आया। ये सारी प्रवंचनाएं, सारी ठगाइयां आदमी ने ही पैदा की हैं और आदमी ही इन्हें करता चला जा रहा है। दूसरे शब्दों में, चेतन ने पैदा की है और चेतन ही करता चला जा रहा है। इसका निष्कर्ष है कि सारी बुराइयों को चेतन ही टिकाए हुए है। अचेतन में कोई बुराई नहीं होती। अचेतन में तो जो होता है वह होता है। न अच्छाई होती है और न बुराई होती है। चेतन ही सब टिकाए हुए है, पर कब तक-यह प्रश्न है। जब तक चेतन अपने चेतनस्वरूप का अनुभव नहीं करता, तब तक ये दोष टिके हुए रहते हैं।
___ ध्यान चेतन-स्वरूप के अनुभव की प्रक्रिया है। ध्यान अपने स्वरूप के जागरण की प्रक्रिया है। जब तक स्वरूप की विस्मृति बनी रहती है तब तक ये सारे दोष चेतन में टिके रहते हैं। उनको आधार और सहारा मिलता रहता है। इतना वातानुकूलित स्थान मिल गया है उनको कि वहां न सर्दी का भय है और न गर्मी का भय है। जितने पाप हैं, दोष हैं, बुराइयां हैं-ये सारे चेतन के आधार को पाकर मजे से जी रहे हैं, पनप रहे हैं। जिनको आधार प्राप्त है, वे आराम से जी रहे हैं और जो आधार देने वाला है, वह बुरे हाल में जी रहा है। बड़ी विचित्र स्थिति है। ऐसा होता है। मकान मालिक दु:ख पाता है और किरायेदार सुख से जीता है। किरायेदार से मकान खाली करा पाना सहज नहीं है। इन दोषों से चेतना को मुक्त कर पाना सहज-सरल नहीं है। इस अर्थ में लोगों की धारणा एकदम गलत नहीं है कि स्वभाव को बदला नहीं जा सकता। असंख्य काल से जो संस्कार चेतन पर अधिकार किए बैठे हैं, उन्हें सरलता से उखाड़ा नहीं जा सकता। किन्तु ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे चेतना पर आई हुई चिकनाहट को धीरे-धीरे साफ किया जा सकता है। और जब चिकनाहट धुलती है तब उस पर चिपके रहने वाले तत्त्व भी धुलते जाते हैं। किरायेदार को कानून की ओर से कुछेक अधिकार प्राप्त हैं। उससे मकान खाली नहीं कराया जा सकता। पर जब मकान जर्जर हो जाता है, मूसलाधार वर्षा होती है, तुफान आता है तो वह मकान ढह जाता है। उस स्थिति में सारे किरायेदार बोरिया-बिस्तर समेट कर अन्यत्र चले जाते हैं। मकान अपने आप खाली हो जाता है। ध्यान एक ऐसी मूलसाधार वर्षा है, ऐसा तूफान है कि मकान को खंडहर बना देता है और तब सारे किरायेदार-दोष निकल भागते हैं। यह है बदलने की प्रक्रिया। सब कुछ बदल जाता है।
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