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हृदय परिवर्तन के सूत्र (३)
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चलते हैं तो ये हमारी साधना के सूत्र बन जाते हैं। हृदय-परिवर्तन के लिए इन पांचों पर थोड़ा-थोड़ा नियन्त्रण पाना आवश्यक होता है। चंचलता (प्रवृत्ति) को कम करना, प्रिय-अप्रिय संवेदनों (कषायों) को कम करना, प्रमाद को कम करना, आकर्षण (अविरति) को कम करना। ये कम होते हैं तो मिथ्यादृष्टिकोण कम होता है और हृदय-परिवर्तन की संभावना बढ़ जाती है। जो लोग हृदय-परिवर्तन की बात करते हैं, चाहते हैं कि हृदय बदले, दण्डशक्ति का प्रयोग कम हो, मैं उन्हें परामर्श देना चाहूंगा कि वे सिद्धांत की बात ही न करें, प्रयोग की भूमिका पर प्रस्थान करें।
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