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'निर्वाणवाद के प्रवक्ता : भगवान् महावीर (१)
७१ पहुंचता है, जहां न अकाल है, न सी है, न गर्मी है। वह शरीर और मन से रहित होता है इसलिए उसके शारीरिक और मानसिक कष्ट भी नहीं होता। सदा क्षेम, शिव
और कल्याण से ओत:प्रोत है निर्वाण । ___महावीर के दर्शन में निर्वाणवाद का जो स्वरूप मिलता है, जो विशद व्याख्या प्राप्त होती है, वह और कहीं प्राप्त नहीं है। आज सबसे ज्यादा बल इस बात पर दिया जाता है कि कथनी-करनी बराबर होनी चाहिए । निर्वाण का अर्थ है कथनी-करनी का एक हो जाना । यथाख्यात चारित्र निर्वाण की एक अवस्था है। इन सारे संदर्भो के आधार पर यह कहा जा सकता है-निर्वाणवाद के प्रबल प्रवक्ता भगवान् महावीर हैं । निर्वाण का सिद्धांत देकर उन्होंने हमारे वर्तमान जीवन को उपकृत किया है भावी जीवन को उपकृत किया है। उनकी वंदना निर्वाणवाद के महान् प्रवक्ता की वंदना
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