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राजतंत्र का सूत्रपात
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नाभि ने कहा-राजा के बारे में आपको किसने बताया। ऋषभ ने। राजा की क्या आवश्यकता है?
महाराज ! आप देखिए समस्याएं उलझ रही हैं। कोई काम नहीं हो रहा है। अपराध बढ़ते ही चले जा रहे हैं। अगर अपराध इसी प्रकार बढ़ते चले गए तो अच्छा नहीं होगा। इन सारे अपराधों की रोकथाम के लिए एक राजा की आवश्यकता है। आप हमें राजा दें, हमारा काम हो जाएगा।
नाभि कुछ क्षण के लिए मौन हो गए। राजतंत्र का सूत्रपात
दो आदमी समय पर मौन रहते हैं। जो व्यक्ति गंभीर होता है वह मौन से काम लेता है और जो व्यक्ति बहुत कंजूस होता है वह मौन रहता है । मौन रहने से सोचने का अवकाश मिल जाता है, सोचने की शक्ति आ जाती है। ____नाभि ने सोचा-जो प्रस्ताव आया है, उसे स्वीकार किया जाए ? क्या इससे समस्या का समाधान हो जाएगा? गम्भीर मन्थन के बाद उन्हें यह प्रस्ताव उपयुक्त लगा। उन्होंने कहा—आपको राजा मिल जाएगा।
आप घोषणा करें, हमारा राजा कौन होगा? इससे आपको क्या मतलब है? हम नाम सुनना चाहते हैं। वह आपके सामने आ जाएगा। हम उसका नाम अभी सुनना चाहते हैं ?
आप किसे चाहते हैं? जिसे आप उपयुक्त समझें लेकिन उसकी घोषणा अभी कीजिए।
तुम्हारा राजा होगा ऋषभ। राजा और देवता
जनता ने तालियों की गड़गड़ाहट ने इस घोषणा का स्वागत किया। लोग खुशी से झूम उठे। उन्होंने नाच-गान किया, हवा में कपड़े उछाले। वे लोग दौड़े-दौड़े ऋषभ के पास पहुंचे। उन्होंने हर्षोल्लासभरे स्वरों से कहा-आप आज हमारे राजा बन गए हैं। आप इस राज्य को संभालें। हम आपकी प्रजा हैं । आप हमारी समस्या का निराकरण करें, सारे अपराधों को मिटाएं । हम सब परेशान हैं। दिन-प्रतिदिन
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