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वर्धमान : प्रेक्षा के प्रयोग
पत्नी ने पति से पूछा-आप क्या कर रहे हैं ? पति ने उत्तर दिया-मैं मोमबत्ती ढूंढ रहा हूं। क्या मोमबत्ती नहीं मिल रही है? नहीं मिल रही है। लाइट जलाकर देख लें।
लाइट नहीं है इसलिए मोमबत्ती को खोज रहा हूं। अगर बिजली होती तो मोमबत्ती को ढूंढने की आवश्यकता ही क्या थी?
जब जब बिजली चली जाती है, तब तब मोमबत्ती की आवश्यकता होती है, दीपक और लालटेन जलता है। बिजली की विद्यमानता में इनकी आवश्यकता नहीं
होती।
चौथी आंख
प्रत्येक आदमी के पास अपना एक प्रकाश है, बिजली है और दूसरा है मोमबत्ती या लालटेन का प्रकाश । अन्दर का प्रकाश हमारी विद्युत् है। आंख का प्रकाश बाहरी प्रकाश है। दुनिया में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसके पास अपना प्रकाश न हो। जिन लोगों के पास आंख का प्रकाश नहीं है, उनके पास भी अपनी भीतर की आंख है, तीसरी आंख है। एक कवि के शब्दों में चौथी आंख भी है। एक न्यायाधीश के चार आंखें होनी चाहिए। वह दो आंखों से बाहर देखे और दो आखों से भीतर देखे, जिससे कि वह न्याय कर सके
सुण हाकम संग्राम, आंधो मत द्वै यार।
औरा रे दो चाहिजे, थारे चाहिजै चार ।। देखने के दो प्रकार
प्रत्येक आदमी के पास आंख है। जो आद्मी दृष्टिसम्पन्न नहीं होता है, वह बहुत खतरनाक बन जाता है। बाहरी आंख का काम भी देखना है और भीतर की
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