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जनदर्शन में तत्त्व - मीमांसा
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इसी प्रकार प्रत्येक वस्तु के वर्ण, गंध, रस, स्पर्श, शब्द और संस्थान का ज्ञान सहायक - सामग्री - सापेक्ष होता है । अतीन्द्रिय ज्ञान परिस्थिति की अपेक्षा से मुक्त होता है । उसकी ज्ञप्ति में देश, काल और परिस्थिति का व्यवधान या विपर्यास नहीं आता, इसलिए उससे वस्तु के मौलिक रूप की सही-सही जानकारी मिलती है ।
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