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मानसिक शान्ति के मूलसूत्र ६१ मानसिक शान्ति के लिए कुछ प्रेरणासूत्र
एक बात और, मानसिक शान्ति के लिए किसी को बिना मांगे सलाह या सुझाव मत दो, अनावश्यक वार्तालाप बंद करो, शब्दों को तौल-तौल कर हेतुपूर्वक ही बोलो। अन्यथा, कई बार सदाशय से बोले गए निर्दोष शब्द भी गलतफहमी पैदा कर देते हैं, फलतः संघर्ष और अशान्ति खड़ी हो जाती है । सलाह देने वाला व्यक्ति अपनी बात उससे मनवाने का आग्रह करता है । अगर वह तुम्हारे मत से विरुद्ध मत रखता है तो तुम्हें क्या ? सहिष्णुता रखकर तो तुम उसे धीरे-धीरे अपने मत का बना सकोगे, विरोध या आग्रह करने से बात तन जाएगी, अतः दूसरों को सुधारने के चक्कर में पड़ कर अपना समय और शक्ति मत खर्च करो, ऐसा करने से तुम थक कर निराश हो जाओगे, उसे अपना शत्रु बना लोगे। अतः स्वस्थ और शान्त रहकर आध्यात्मिक गुणों की वृद्धि करने में लगो; यही मानसिक शान्ति का राजमार्ग है।
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