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इस पुस्तक के प्रकाशन में गुरुभक्त धर्मप्रेमी उदारमना औरंगाबाद निवासी श्रीमान सुवालाल जी सा० छल्लानी एवं आपकी धर्मशीला धर्मपत्नी श्रीमती ताराबाई ने विशेष अभिरुचिपूर्वक प्रकाशन सहयोग प्रदान किया है।
___ आपकी उदारता, गुरुभक्ति, समाजसेवा की भावना प्रशंसनीय तथा अनुकरणीय है। आशा है इस पुस्तक को स्वाध्यायशील पाठक रुचिपूर्वक पढ़ेंगे।
-चुन्नीलाल धर्मावत कोषाध्यक्ष : श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर
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