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नमस्कार महामन्त्र को साधना १५ वश्यक भाष्य में आचार्य जिनभद्र गणी क्षमाश्रमण ने नमस्कार महामन्त्र को सव सूत्रान्तर्गत लिखा है । इस प्रकार यह महामन्त्र अतीत काल से ही जैन शासन में प्रतिष्ठित है । चाहे श्वेताम्बर परम्परा हो, चाहे दिगम्बर परम्परा हो, दोनों में ही यह महामन्त्र पूर्ण रूप से प्रतिष्ठित है। आज तो जैनत्व का प्रतीक ही यह महामन्त्र है । जिसे महामन्त्र का परिज्ञान नहीं वह जैन कैसा?
__महामन्त्र पर जितना भी लिखा जाय, उतना ही कम है। मैंने बहुत ही संक्षेप में प्राचीन ग्रन्थों के प्रकाश में "नमस्कार महामन्त्र" की साधना किस प्रकार करनी चाहिए। इस विषय पर प्रकाश डाला है। अन्य भी अनेक विधियाँ हैं। जो साधक के लिए उपादेय हैं। पर उन सारी विधियों को इस छोटे से लेख में देना सम्भव नहीं।
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