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________________ हिंसा-अहिंसा की परख १७६ स्पर्श कराने से नशा चढ़ता है। नशा तभी चढ़ता है, जब भांग सजीव प्राणी के पेट में उड़ेल दी जाती है, जब उसका चेतना के साथ संयोग हो जाता है। यही बात हिंसा के कारण रागद्वोष रूप नशा चढ़ने के बारे में समझिये । केवल शरीर या शरीर के अंगोपांगों से स्थूल हिंसा की कोई क्रिया होगी, उससे कर्मबन्ध नहीं होगा, न राग-द्वेष ही होगा, क्योंकि शरीर जड़ है । हिंसा की क्रिया का जब मन के साथ-मन के रागद्वषादि परिणामों के साथ संयोग होता है, तभी कर्मबन्ध होता है, और वह हिंसा पापकर्मबन्धनजनक समझी जाती है। __ आचार्य अमृतचन्द्र जैन धर्म के सूक्ष्म चिन्तनकार आचार्य हुए हैं। उन्होंने पुरुषार्थ सिद्धयुपाय में हिंसा-अहिंसा के सम्बन्ध में स्पष्ट निरूपण किया है। उन्होंने हिंसा-अहिंसा की परख के लिए एक स्पष्ट निर्णय दे दिया है 'अप्रादुर्भावः खलु रागादीनां भवयहिसेति । तेषामेवोत्पत्तिहिसेति जिनागमस्य संक्षेपः ॥' स्थूल दृष्टि वाले लोग जीव न मरने को अहिंसा और जीव मरने को हिंसा कह देते हैं, परन्तु वास्तव में बाह्य रूप से जीव मर जाते हैं, किन्तु अन्तर् में राग-द्वेष-कषायादि उत्पन्न नहीं हुए हैं, ऐसी स्थिति में वह हिंसा न होकर अहिंसा ही होती है। किन्तु बाहर से जीव न मरा हो, फिर भी अन्तर में राग-द्वेष-कषायादि पैदा हो गए तो वहां बाहर से अहिंसा का आभास होते हुए भी हिंसा है । यही जैन सिद्धान्त का सार है । आत्मा अमर : मारने से हिंसा का पाप क्यों ? एक जगह एक विद्वान ने पूछा-आत्मा तो अजर-अमर है । यह न मरती है, न कटती है, न जलती है, न सूखती है, 'तब फिर किसी को मारने से हिंसा का पाप क्यों लगता है ? __ जैन दर्शन कहता है-प्राणियों को मारना या जिलाना किसी के वश की बात नहीं है। अनन्तबली तीर्थंकर भी किसी जीव को अपनी आयु से एक क्षण अधिक न जिला सकते हैं, और न ही इन्द्र आदि जैसे शक्तिशाली देव अपनी पूरी ताकत लगा कर भी किसी जीव को उसके आयुष्य से एक १ "नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः । न चैनं क्लेदयन्त्यापो, न शोषयति मारुतः ॥' -भगवद् गीता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003091
Book TitleTamso ma Jyotirgamayo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1991
Total Pages246
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size11 MB
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