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उसके वाईब्रेशन (प्रकम्पन) ठीक होते हैं तो हमारी शक्ति का संवर्द्धन हो जाता है । उस स्कूल के जो अधिकारी व्यक्ति थे, उनके पास जाकर सब लोग नामों का चुनाव करते थे । वे नाम चुनकर देते। उसके पीछे प्रकम्पनों का सिद्धान्त था । यानी नाम के उच्चारण से किस प्रकार के प्रकम्पन उत्पन्न होते हैं ।
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यह बहुत बड़े महत्त्व का सिद्धान्त है । क्योंकि हमारे चित्त का निर्माण प्रकम्पनों के द्वारा होता है । जिस प्रकार के प्रकम्पन हम उत्पन्न कर सकते हैं, उसी प्रकार की क्रिया होने लग जाती है । आप लोगों ने पढ़ा है, कृष्ण-वासुदेव ने तेला ( तीन उपवास ) किया। तेला पूरा होते-होते देवता का आसन प्रकम्पित हुआ, देवता को पता चला कि कौन याद कर रहा है । वह कृष्ण-वासुदेव के पास आ
गया ।
अभयकुमार ने तेला किया। जप करते-करते देवता का आसन प्रकम्पित हुआ, देवता आ गया। कहां देवता असंख्य योजनों की दूरी पर और कहां अभयकुमार और कहां कृष्ण-वासुदेव ? कैसे पता चला ? यह प्रकम्पनों का सिद्धान्त काम कर रहा है । हमारे मन के द्वारा छोड़े हुए धारावाही प्रकम्पन, एक दिशा में जानेवाले प्रकम्पन इतने तीव्र हो जाते हैं कि वहां पहुंचकर उस व्यक्ति के आसन को भी प्रकम्पित कर देते हैं । और उस व्यक्ति को पता चल जाता है कि मुझे कोई याद कर रहा है ।
आजकल भी विचार सम्प्रेषण का सिद्धान्त चल रहा है। एक मकान में पांच कमरे हैं। पांच कमरे में पांच व्यक्ति बैठ जाते हैं, और परस्पर में संकेत होता है । एक व्यक्ति एक बात को सोच रहा है । और जो मध्यवर्ती कमरे में बैठा है उससे कहता है कि मैं तुम्हें विचारों का सम्प्रेषण कर रहा हूं। तुम ध्यान रखना । वह अपने विचार को बार-बार इतनी तीव्रता से और उसी एक धारा में, एक लय में, एक संगीत में, एक प्रवाह में प्रवाहित करता चला जाता है । सामने वाले व्यक्ति को ऐसा लगता है कि कोई बात कर रहा है । और कुछ बात ऐसी आ जाती है और वह लिख देता है कार्ड पर कि यह बात मुझे सूझी। और वहां वह लिख देता है । दोनों को आप मिलाइये। दोनों की एक समान वर्णमाला होगी। समान विचार और समान चिंतन होगा। यह विचार का संप्रेषण कैसे होता है ? यह प्रकम्पन की प्रक्रिया के द्वारा होता है । जब हम एक दिशागामी प्रकम्पन उत्पन्न कर देते हैं, एक दिशा में अपने विचारों को प्रवाहित कर देते हैं, विचार संप्रेषित हो जाते हैं । जैसे ही हमारे विचार बाहर आते हैं वैसे ही उनका भेदन होता है । विचारों का भेदन अर्थात् मन के परमाणुओं का भेदन, वचन के परमाणुओं का भेदन और शरीर के परमाणुओं का भेदन होता है । और इतना तीव्रगामी भेदन होता है कि परमाणु उससे टूट जाते हैं। जैसे परमाणु का भेदन होने पर शक्ति और ऊर्जा पैदा होती हैं, उसी प्रकार मन का भेदन होने पर एक शक्ति पैदा होती
स्मृति का वर्गीकरण : ७७
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